मनोवृता - सूर्यदेव पाठक
आकर्षक व्यक्तित्व के धनि स्वर्गीय सूर्यदेव पाठक एक आदर्श कर्मयोगी शिक्षक थे | उनका समर्पण एवं शैक्षणिक निष्ठा, सहज एवं सरल जीवन शैली छात्रों , शिक्षकों एवंसमाज के लिए सदा प्रेरणा श्रोत बनी रही | मृदुल स्वाभाव एवं कठिन परिश्रम के कारन अत्यंत कम समय में ही इनका स्थान एक ख्याति प्राप्त शिक्षक के रूप में समाज में स्थापित हो गया | शहर में शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा जहाँ उनके शिष्य नहीं होंगे , कई ऐसी नाम चीन हस्तियाँ आज भी उनके अक्षरज्ञान एवं दिए संस्कार बोध को यद् कर द्रवित हो उठते है वें अपने दायित्व के प्रति पूर्ण सजग , समर्पित एवं त्याग के प्रतिमूर्ति, सामाजिक दायित्व के साथ साथ पारिवारिक दायित्व का भी निर्वहन उन्होंने जिस प्रकार किया वह अनुकर्णीय है | उनकी भार्या (पत्नी)मनोव्रिता देवी सुशिल सरल स्वाभाव की मृद्भाशी, आभाव में भी भाव के साथ रह कर प्रभाव छोड़ने वाली महिला थीं, जो भारतीय संस्कृति एवं संस्कार की साक्षात् प्रतिमूर्ति एवं दिव्या स्वरुप थीं, अल्प आयु में ही उनका आकस्मिक निधन हो ग गया था |